व्यापारी तो बहुत सालो से परेशान हो रहा है कहीं बलात्कार हो रहा है तो दुकान बंद करो, कही दंगा हो रहा है तो दुकान बंद करो
जिसको आरक्षण चाहिए उसके लिये दुकान बंद करो जिसको आरक्षण नहीं चाहिए उसके लिए बंद करो
दुकानदार दुकानदार नहीं रह गया वो होली का नंगाडा बंन गया है हर कोई बजा के निकाल लेता है
व्यापारियों को भी कोर्ट जा कर नियम बनवाना चाहिए की अगर बंद करना है तो सरकारी दफ्तरों को बंद कराओ क्योंकि तुमको परेशानी सरकार से है व्यापारी से नहीं ...
एक भड़का हुआ व्यापारी...
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