. *श्री सुर्याय नमः* *ॐबृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च।* *प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।* जो बढ़े हुए तेज के पुंज हैं और वायु तथा आकाशस्वरुप हैं, उन समस्त लोकों के अधिपति सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।

 

. *श्री सुर्याय नमः*
*ॐबृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च।*
*प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।*
जो बढ़े हुए तेज के पुंज हैं और वायु तथा आकाशस्वरुप हैं, उन समस्त लोकों के अधिपति सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।

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