आज़ाद का ज़बरदस्त आग़ाज़ JNU में...👈👇👇🚩🚩
जे एन यू कैंपस में आज़ाद के आगमन से देशद्रोही वामपंथियों में खलबली मच गई |कुछ समय पहले तक राष्ट्रद्रोहियों के गढ़ के रूप में प्रचारित जे एन यू परिसर राष्ट्रवादी आज़ाद की सनातनी दहाड़ से गुंजायमान हो गया | जे एन यू कैम्पस जहां कभी राष्ट्रद्रोहियों के ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी.. जंग रहेगी ,हिंदुस्तान तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह..इंशाअल्लाह’ जैसे नारे लगते थे, वहाँ राष्ट्रपुत्र आज़ाद ने राष्ट्रवाद का शंखनाद किया |आज़ाद ने देशद्रोही तत्वोंको चेतावनी देते हुए कहा कि भारत कोई माटी का टुकड़ा नहीं है...ये जीता –जागता राष्ट्रपुरुष है ...ये वंदन की भूमि है | जो इस मातृभूमि का वंदन करते हैं ,उनका स्वागत है और जो टुकड़े करने का गलीज़ मंसूबा पालते हैं ,उनके लिए देश का एक एक सनातनी आज़ादवादी तरीके से निपटने के लिए तैयार है |आज़ाद ने कहा कि जे एन यू शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ केंद्र है ,जन्नत है ...इसे जहन्नुम में तब्दील करने की सोच रखनेवालों को जहन्नूम में भी जगह नहीं मिलेगी |आजाद ने स्पष्ट शब्दों में समझाया कि आज़ाद कौन है ? आज़ाद ने बताया कि आज़ाद एक विचार है और आज़ाद मरा-जरा के पार सनातन है | जे एन यू जैसे श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान को कुछ वामपंथी संक्रमण से संक्रमित और देशद्रोही दलालों के कारण देशद्रोह का ट्रेनिंग सेंटर समझ लिया गया था ,किन्तु आज़ाद के आह्वान पर हजारों की तादाद में जे एन यू के विद्यार्थियों ने वन्दे मातरम् और जय हिन्द के उच्चार से जे एन यू परिसर का शुद्धिकरण कर डाला | तुमुल उत्साह के वातावरण में आज़ाद ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म “राष्ट्रपुत्र” के हिंदी और संस्कृत संस्करण का फर्स्ट लुक और ट्रेलर का विमोचन किया |जे एन यू के छात्रों ने हर्सोल्लास के साथ आज़ाद के इस महान उद्देश्य के लिए समवेत स्वर में आज़ाद को धन्यवाद दिया | ज्ञातव्य है कि सैनिक विद्यालय के छात्र आज़ाद द्वारा सृजित ‘राष्ट्रपुत्र’ देश-विदेश की छब्बीस भाषाओँ में रिलीज़ होने जा रही है | ऐसा लगता है कि जे एन यू परिसर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्वावधान में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के द्वारा आज़ाद ने राष्ट्रवाद के महाजागरण की कथा लिख दी|सबसे विलक्षण बात ये है कि हमेशा प्रश्न और प्रतिप्रश्न खड़ा करने की परंपरा में दीक्षित जे एन यू के छात्र बार बार आमंत्रित करने के उपरान्त भी किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं किया .ऐसा लगता है कि आज़ाद के आग्नेय विचारों ने सारे प्रश्नों को भस्मीभूत कर एक ही उत्तर का बीजारोपण कर दिया कि "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"








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