सनातन भारत मे, सामान्य जीवन मे हम पर सबसे ज़्यादा असर इन नवग्रहों का है....ये हैं नवग्रहों के मूल मंत्र..👇👇👇
सूर्य : (ॐ सूर्याय नम:) , चन्द्र : (ॐ चन्द्राय नम:) ,मंगल : (ॐ भौमाय नम:) ,बुध : (ॐ बुधाय नम:) ,गुरू : (ॐ गुरवे नम:) ,शुक्र : (ॐ शुक्राय नम:) ,शनि : (ॐ शनिचराय नम:), राहु : (ॐ राहवे नम:), केतु : (ॐ केतवे नम:) l
नवग्रहों के बीज मंत्र
सूर्य : (ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:), चन्द्र : (ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम:), मंगल : (ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:), बुध : (ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:), गुरू : (ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:), शुक्र : (ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:), शनि : (ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिचराय नम:), राहु : (ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:), केतु : (ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:) l
नवग्रहों के वेद मंत्र
सूर्य : ॐ आकृष्णेन रजसा वर्त्तमानो निवेशयन्नमृतं मतर्य च
हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन॥
इदं सूर्याय न मम॥
चन्द्र : ॐ इमं देवाSसपत् न ग्वं सुवध्वम् महते क्षत्राय महते ज्येष्ठयाय
महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रमुष्यै पुत्रमस्यै विश एष
वोSमी राजा सोमोSस्माकं ब्राह्मणानां ग्वं राजा॥ इदं चन्द्रमसे न मम॥
मंगल : ॐ अग्निमूर्द्धा दिव: ककुपति: पृथिव्या अयम्।
अपा ग्वं रेता ग्वं सि जिन्वति। इदं भौमाय, इदं न मम॥
बुध : ॐ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहित्वमिष्टापूर्ते स ग्वं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत॥
इदं बुधाय, इदं न मम॥
गुरू : ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अहार्द् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम॥
इदं बृहस्पतये, इदं न मम॥
शुक्र : ॐ अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय:।
सोमं प्रजापति: ॠतेन सत्यमिन्द्रियं पिवानं ग्वं
शुक्रमन्धसSइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोSमृतं मधु॥ इदं शुक्राय, न मम।

शनि : ॐ शन्नो देविरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:। इदं शनैश्चराय, इदं न मम॥
राहु : ॐ कयानश्चित्र आ भुवद्वती सदा वृध: सखा।
कया शचिंष्ठया वृता॥ इदं राहवे, इदं न मम॥
केतु : ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपेशसे।
समुषदभिरजा यथा:। इदं केतवे, इदं न मम॥
आज़ाद



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