ये वो सीन जब इस दुनिया में आखिरी SUNNI मुसलमान जिंदा बचेगा 

मुसलमां भी बड़ी अजीब कौम है । शिया और कुर्द इराक के दो बड़े मुसलमां फिरके हैं । दोनों ने मिलकर isis के खिलाफ जंग छेड़ी , लड़ी और लगभग जीत ही ली ।

isis के खिलाफ गजब की एकता और भाईचारा का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया । इराक में isis लगभग खत्म होने को है । आखिरी सांसें गिन रहा है । isis के दम तोड़ते ही दोनों फिरके फुरसतिया हो जाएंगे ।
तो फिर ऐसे में क्या करेंगे ?

अजी वहीं करेंगे जिसके लिए दुनिया भर में मुसलमां जाने जाते हैं । इराक में isis के खिलाफ मिलकर लड़ने वाले शिया और कुर्द अब आमने-सामने लामबंद हो रहे हैं । एक लड़ाई खत्म होने को है और एक शुरू होने को है ।
मैंने फेसबुक पर बहुत समय पहले कहीं एक तस्वीर देखी थी । इस तस्वीर में दिखाया गया था कि एक मुसलमां जमीन पर पड़ा है । उसके एक हाथ में तलवार है और जमीन में पड़े पड़े ही वह गुस्से से किसी के साथ तलवार लड़ा रहा है । जिसके साथ तलवार लड़ा रहा है वह कोई और नहीं , खुद उसका ही पैर है जिसके सहारे वह तलवार पकड़ कर खुद से ही लड़ रहा है ।

और इस तस्वीर का शीषर्क था ...... - "दुनिया का आखिरी मुसलमां ।"
आज ईराक में शियाओं और कुर्दों को आमने-सामने देखकर उस तस्वीर की सच्चाई चरितार्थ हो गयी । जो कहते हैं कि मुसलमां अमन पसन्द कौम है , उन अक्ल के अंधों को यह तस्वीर दिखाकर और इराक के हालात बता कर जरूर पूछा जाना चाहिए ....... (OLD POST)

दुनिया के हर हिस्से में मुसलमां , गैर मुसलमां से लड़ रहा है और जहां गैर मुसलमां नहीं है वहां मुसलमां , मुसलमां में लड़ रहा है ?
क्यों ?

कुत्ते भी आपस में ऐसे नहीं लड़ते जैसे दुनिया भर में मुसलमां लड़ रहा है ?
आखिर क्यों ?
क्या वाकई मुसलमां एक अमन पसन्द क़ौम है ?






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