हमारे वामपन्थी इतिहासकारों ने यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया था “रामचरितमानस” रचयिता ने राम मंदिर विध्वंस का रामायण में कहीं नही उल्लेख किया जबकि उन्हें यह पता ही नही की गोस्वामी जी की बहुत सी रचनायें रही हैं जिनमे एक “तुलसी शतक” भी है ।जुलाई २००३ में जगद्गुरु रामभद्राचार्य इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सम्मुख अयोध्या विवाद के अपर मूल अभियोग संख्या ५ के अंतर्गत धार्मिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में साक्षी बनकर प्रस्तुत हुए (साक्षी संख्या ओ पी डब्लु १६)।[47][48][49] उनके शपथ पत्र और जिरह के कुछ अंश अंतिम निर्णय में उद्धृत हैं। अपने शपथ पत्र में उन्होंने सनातन धर्म के प्राचीन शास्त्रों (वाल्मीकि रामायण, रामतापनीय उपनिषद्, स्कन्द पुराण, यजुर्वेद, अथर्ववेद, इत्यादि) से उन छन्दों को उद्धृत किया जो उनके मतानुसार अयोध्या को एक पवित्र तीर्थ और श्रीराम का जन्मस्थान सिद्ध करते हैं। उन्होंने तुलसीदास की दो कृतियों से नौ छन्दों (तुलसी दोहा शतक से आठ दोहे और कवितावली से एक कवित्त) को उद्धृत किया जिनमें उनके कथनानुसार अयोध्या में मन्दिर के तोड़े जाने और विवादित स्थान पर मस्जिद के निर्माण का वर्णन है!
तुलसी दास ने भी राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद का उल्लेख किया है

गोस्वामी श्री तुलसीदास रचित “तुलसी शतक” का भावार्थ प्रस्तुत है!

(1) राम जनम महि मंदरहिं, तोरि मसीत बनाय ।
जवहिं बहुत हिन्दू हते, तुलसी किन्ही हाय ॥

जन्मभूमि का मन्दिर नष्ट करके, उन्होंने एक मस्जिद बनाई । साथ ही तेज गति उन्होंने बहुत से हिंदुओं की हत्या की । इसे सोचकर तुलसीदास शोकाकुल हुये ।

(2) दल्यो मीरबाकी अवध मन्दिर रामसमाज ।
तुलसी रोवत ह्रदय हति हति त्राहि त्राहि रघुराज ॥

मीरबकी ने मन्दिर तथा रामसमाज (राम दरबार की मूर्तियों) को नष्ट किया । राम से रक्षा की याचना करते हुए विदिर्ण ह्रदय तुलसी रोये ।

(3) राम जनम मन्दिर जहाँ तसत अवध के बीच ।
तुलसी रची मसीत तहँ मीरबाकी खाल नीच ॥

तुलसीदास जी कहते हैं कि अयोध्या के मध्य जहाँ राममन्दिर था वहाँ नीच मीरबकी ने मस्जिद बनाई ।

(4) रामायन घरि घट जँह, श्रुति पुरान उपखान ।
तुलसी जवन अजान तँह, कइयों कुरान अज़ान ॥

श्री तुलसीदास जी कहते है कि जहाँ रामायण, श्रुति, वेद, पुराण से सम्बंधित प्रवचन होते थे, घण्टे, घड़ियाल बजते थे, वहाँ अज्ञानी यवनों की कुरआन और अज़ान होने लगे।

(5) मन्त्र उपनिषद ब्राह्मनहुँ बहु पुरान इतिहास ।
जवन जराये रोष भरि करि तुलसी परिहास ॥

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि क्रोध से ओतप्रोत यवनों ने बहुत सारे मन्त्र (संहिता), उपनिषद, ब्राह्मणग्रन्थों (जो वेद के अंग होते हैं) तथा पुराण और इतिहास सम्बन्धी ग्रन्थों का उपहास करते हुये उन्हें जला दिया ।

(6) सिखा सूत्र से हीन करि बल ते हिन्दू लोग ।
भमरि भगाये देश ते तुलसी कठिन कुजोग ॥

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि ताकत से हिंदुओं की शिखा (चोटी) और यग्योपवित से रहित करके उनको गृहविहीन कर अपने पैतृक देश से भगा दिया ।

(7) बाबर बर्बर आइके कर लीन्हे करवाल ।
हने पचारि पचारि जन जन तुलसी काल कराल ॥

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि हाँथ में तलवार लिये हुये बर्बर बाबर आया और लोगों को ललकार ललकार कर हत्या की । यह समय अत्यन्त भीषण था ।

(8) सम्बत सर वसु बान नभ ग्रीष्म ऋतु अनुमानि ।
तुलसी अवधहिं जड़ जवन अनरथ किये अनखानि ॥

(इस दोहा में ज्योतिषीय काल गणना में अंक दायें से बाईं ओर लिखे जाते थे, सर (शर) = 5, वसु = 8, बान (बाण) = 5, नभ = 1 अर्थात विक्रम सम्वत 1585 और विक्रम सम्वत में से 57 वर्ष घटा देने से ईस्वी सन 1528 आता है ।)

श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि सम्वत् 1585 विक्रमी (सन 1528 ई) अनुमानतः ग्रीष्मकाल में जड़ यवनों अवध में वर्णनातीत अनर्थ किये । (वर्णन न करने योग्य) ।

अब यह स्पष्ट हो गया कि गोस्वामी तुलसीदास जी की इस रचना में जन्मभूमि विध्वंस का विस्तृत रूप से वर्णन किया किया है।

ये वो सीन जब इस दुनिया में आखिरी SUNNI मुसलमान जिंदा बचेगा 

मुसलमां भी बड़ी अजीब कौम है । शिया और कुर्द इराक के दो बड़े मुसलमां फिरके हैं । दोनों ने मिलकर isis के खिलाफ जंग छेड़ी , लड़ी और लगभग जीत ही ली ।

isis के खिलाफ गजब की एकता और भाईचारा का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया । इराक में isis लगभग खत्म होने को है । आखिरी सांसें गिन रहा है । isis के दम तोड़ते ही दोनों फिरके फुरसतिया हो जाएंगे ।
तो फिर ऐसे में क्या करेंगे ?

अजी वहीं करेंगे जिसके लिए दुनिया भर में मुसलमां जाने जाते हैं । इराक में isis के खिलाफ मिलकर लड़ने वाले शिया और कुर्द अब आमने-सामने लामबंद हो रहे हैं । एक लड़ाई खत्म होने को है और एक शुरू होने को है ।
मैंने फेसबुक पर बहुत समय पहले कहीं एक तस्वीर देखी थी । इस तस्वीर में दिखाया गया था कि एक मुसलमां जमीन पर पड़ा है । उसके एक हाथ में तलवार है और जमीन में पड़े पड़े ही वह गुस्से से किसी के साथ तलवार लड़ा रहा है । जिसके साथ तलवार लड़ा रहा है वह कोई और नहीं , खुद उसका ही पैर है जिसके सहारे वह तलवार पकड़ कर खुद से ही लड़ रहा है ।

और इस तस्वीर का शीषर्क था ...... - "दुनिया का आखिरी मुसलमां ।"
आज ईराक में शियाओं और कुर्दों को आमने-सामने देखकर उस तस्वीर की सच्चाई चरितार्थ हो गयी । जो कहते हैं कि मुसलमां अमन पसन्द कौम है , उन अक्ल के अंधों को यह तस्वीर दिखाकर और इराक के हालात बता कर जरूर पूछा जाना चाहिए ....... (OLD POST)

दुनिया के हर हिस्से में मुसलमां , गैर मुसलमां से लड़ रहा है और जहां गैर मुसलमां नहीं है वहां मुसलमां , मुसलमां में लड़ रहा है ?
क्यों ?

कुत्ते भी आपस में ऐसे नहीं लड़ते जैसे दुनिया भर में मुसलमां लड़ रहा है ?
आखिर क्यों ?
क्या वाकई मुसलमां एक अमन पसन्द क़ौम है ?

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