_सवर्णों में एक जाति आती है ब्राह्मण जिस पर सदियों से राक्षस, पिशाच, दैत्य, यवन, मुगल, अंग्रेज, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथी, भाजपा, सभी राजनीतिक पार्टियाँ, विभिन्न जातियाँ आक्रमण करते आ रहे है।_

_आरोप ये लगे कि ब्राह्मणों ने जाति का बटवारा किया!_
_*उत्तर:-* सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद जो अपौरुषेय जिसका संकलन वेदव्यास जी ने किया। जो मल्लाहिन के गर्भ से उत्पन्न हुए।_
_१८-पुराण, महाभारत, गीता सब व्यास विरचित है जिसमें वर्णव्यवस्था और जाति व्यवस्था दी गई है। रचनाकार व्यास ब्राह्मण जाति से नही थे।_
_ऐसे ही कालीदासादि कई कवि जो वर्णव्यवस्था और जाति-व्यवस्था के पक्षधर थे और जन्मजात ब्राह्मण नहीं थे।_
_*मेरा प्रश्न:-* कोई एक भी ग्रन्थ का नाम बतलाइए जिसमें जातिव्यवस्था लिखी गई हो और ब्राह्मण ने लिखा हो?_
_शायद एक भी नही मिलेगा। मुझे पता है आप मनु स्मृति का ही नाम लेंगे, जिसके लेखक मनु महाराज थे, जोकि क्षत्रिय थे, मनु स्मृति जिसे आपने कभी पढ़ा ही नहीं और पढ़ा भी तो टुकड़ों में! कुछ श्लोकों को जिसके कहने का प्रयोजन कुछ अन्य होता है और हम समझते अपने विचारानुसार है। मनु स्मृति पूर्वाग्रह रहित होकर सांगोपांग पढ़ें।छिद्रान्वेषण की अपेक्षा गुणग्राही बनकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।_
_*अब रही बात कि ब्राह्मणों ने क्या किया?* तो सुनें! यंत्रसर्वस्वम् (इंजीनियरिंग का आदि ग्रन्थ)-भरद्वाज, वैमानिक शास्त्रम् (विमान बनाने हेतु)-भरद्वाज, सुश्रुतसंहिता (सर्जरी चिकित्सा)-सुश्रुत, चरकसंहिता (चिकित्सा) -चरक, अर्थशास्त्र(जिसमें सैन्यविज्ञान, राजनीति, युद्धनीति, दण्डविधान, कानून आदि कई महत्वपूर्ण विषय हैं)- कौटिल्य, आर्यभटीयम् (गणित)-आर्यभट्ट।_
_ऐसे ही छन्दशास्त्र, नाट्यशास्त्र, शब्दानुशासन, परमाणुवाद, खगोल विज्ञान, योगविज्ञान सहित प्रकृति और मानव कल्याणार्थ समस्त विद्याओं का संचय अनुसंधान एवं प्रयोग हेतु ब्राह्मणों ने अपना पूरा जीवन भयानक जंगलों में, घोर दरिद्रता में बिताए। उसके पास दुनियाँ के प्रपंच हेतु समय ही कहाँ शेष था? कोई बताएगा समस्त विद्याओं में प्रवीण होते हुए भी, सर्वशक्तिमान् होते हुए भी ब्राह्मण ने पृथ्वी का भोग करने हेतु गद्दी स्वीकारा हो…?



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