प्रसिद्ध वामपंथी दलित विचारक JNU के प्रोफेसर विवेक कुमार ने दैनिक जागरण के अपने इंटरव्यू में कहा के ..!
दलित उद्धारक सिर्फ दो ही हुए आज तक ..!
एक तो डॉक्टर अम्बेडकर ..!
और दूसरी बहन मायावती..!
वो तो कोविंद... मीरा कुमार ...बाबू जगजीवन राम को को दलित तक मानने को तैयार नही ..!
उनके अनुसार वो दलित हो ही नही सकता जो सुबह सुबह उठ के ब्रह्मणो और मनुस्मृति को गरियाये न ..!
ऐसे सेफ जोन में रहने वाले ...और लाखों सेलरी लेने वाले दलित ही दलितों के सबसे बड़े दुश्मन हैं ..!
ये अपने जहरीले विचारों से बेचारे उन दलितों के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा करते हैं जो कि गांव गिरावँ में अब भी उपेक्षित जीवन जीते हैं ..!
और इनके हिस्से की गालियां खाते हैं ..!
जबकि हकीकत ये है के अम्बेडकर और मायावती ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए दलितों का सिर्फ भावनात्मक शोषण किया है ।।

दलितों की पीड़ा को सबसे पहले आर्य समाज के स्वामी दयानन्द सरस्वती ने महसूस किया ..!
उन्होंने सर्व प्रथम दलितों को वेद पढ़ने , यज्ञ करने , गायत्री का पाठ करने , यगोपवीत धारण करने , साथ बैठकर खाने का अधिकार दिया ...!
इनके अलावा लाला लाजपत राय , स्वामी श्रद्धानंद , भाई परमानंद , वीर सावरकर , वड़ोदरा नरेश सयाजी गायकवाड़ , मास्टर आत्माराम और लाला गंगा राम सरीखे अनेक महापुरुषों ने भी दलित उत्थान के लिए पूरे जीवन संघर्ष किया ..! ये सभी सवर्ण समाज से आते थे ..!
दलितों के उत्थान मे सबसे बडा योगदान सवर्णो का रहा है, और दुर्भाग्य ये है कि आज वही समाज दलित नेताओं की वजह से दलितों के निशाने पर है....जिसकी वजह से हिंदुत्व विभाजित और कमज़ोर हुआ...

- आज़ाद


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