चाणक्य ने कहा है, "ताकतवर पड़ौसी सहज शत्रु होता है, जबकि पड़ौसी का पड़ौसी सहज #मित्र।"
इस सूत्र से भारत,चीन और पाकिस्तान के सम्बन्ध समझे जा सकते हैं।"
दुनिया में चीन के केवल दो ही मित्र हैं, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान। इन दोनों की छवि विश्व के लिए "सबसे बदनाम" देशों के रूप में है।
हर वर्ष, इंच इंच कर विस्तार करो, पर विस्तार जरूर करो,,,, यह चीन की घोषित नीति है।
दलाई लामा ने अपनी जीवनी में जिक्र किया है कि चीन की एक माँ अपने #मृत बच्चे को बेचने उनके घर आई थी। चीन में छोटे बच्चों की लाशें बिकती हैं।
#खान पान में चीन जितना घिनौना कोई नहीँ है। वहाँ मानव दूध की मिठाइयां और मानव #भ्रूण की डिशेज मिलती है, अमीर लोग इनका उपयोग करते हैं, वह भी स्टेटस सिम्बल के रूप में।
सर्वाधिक सरकारी अधिनायकवाद और नागरिकों के अधिकारों का हनन चीन में होता है। वहाँ सब कुछ सरकार के नियंत्रण में है, अखबार भी..यहाँ तक कि google भी banned है...चीनी सरकार का अपना सर्च इंजन है "बाय डू"...
नेहरू से लेकर मनमोहन तक, सभी कांग्रेसी शासक चीन से बहुत डरते थे और उसके अनुसार अपनी विदेश नीति तय करते थे।
चीनी प्रतीक ड्रेगन, हान वंश का अभिमान और #मंगोल रक्त को वह राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में इस्तेमाल कर, विश्व को भयभीत करता रहता है।
दुनिया के बहुत बड़े बाजार पर उसका #आक्रामक दबदबा बढ़ता जा रहा है। उदाहरण,,, दक्षिण अफ्रीका में व्यापार के लिए उसने अपनी जेलों में बंद कैदियों को वहाँ भेजा है!!
चीन के इस आर्थिक बूम का लाभ वहाँ की जनता को बिलकुल नहीं मिलता, वह अत्यंत शोषित और भयग्रस्त माहौल में जी रही है। सरकार किसी को कभी भी बेदखल कर सकती है।
चीन के झिंझियांग प्रांत में मुस्लिम आबादी का घनत्व ज्यादा है, उसने वहाँ मुसलमानों के लिए एक से अधिक सन्तान पर प्रतिबंध लगा रखा है, जबकि चीनियों के लिए पूरी छूट दे रखी है।
भारत चीन व्यापार में भारत का हिस्सा 9 है जबकि चीन का 66, इस तरह वह भारत से अकूत धन ले जा रहा है। केवल त्यौहार आश्रित सामग्री में ही 60% कमाई करता है।भारत के कई लघु और कुटीर उद्योग #बन्द हो गए हैं।
भारतीय वामपंथी, नक्सली और आधे सेक्युलर चीन के प्लांटेड लोग हैं, जो 100% देशद्रोही हैं, उन्हें चीन से सहयोग मिलता है, जिसके बल पर वे खुलेआम देशविरोधी हरकतें करते हैं।
वर्तमान समय #परमाणु युद्ध की संभावना अंतिम विकल्प है। यह समय आर्थिक युद्ध का है। व्यापारिक युद्ध ही निर्णय करते हैं। हमें इस युद्ध में चीनी समान का बहिष्कार करना चाहिए।
केवल दो देश ही चीन से व्यापार में लाभ कमाते हैं, #जापान और #जर्मनी। दोनों ही प्रबल #राष्ट्रवादी देश हैं। भारत में बढ़ता राष्ट्रवाद का प्रभाव, हमें इस युद्ध में विजयी बनाएगा।
- आज़ाद
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