शेरों शायरी और ग़ज़लों में नही,
हमारी जड़े हैं वेद ,पुराण और उपनिषदों में...
थोडा, थोड़ा ही पढ़े, पर ज़रूर पढ़े और जाने अपने मूल को....
आज़ाद

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