July 26, 2019 विद्या नाम नरस्य कीर्तिर्तुला भाग्यक्षये चाश्रयो। धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा॥ सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम्। तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु॥
December 19, 2022 नीर क्षीर विवेके हंस आलस्यम् त्वमेव तनुषे चेत्, विश्वस्मिन् अधुना अन्य: कुलव्रतं पालयिष्यति कः ।। हंस यदि पानी तथा दूध भिन्न करना छोड़ दे, तो दूसरा कौन उसके इस कुलव्रत का पालन कर सकता है? यदि बुद्धिवान् तथा कुशल मनुष्य ही अपना कर्तव्य करना छोड़ दे, तो दूसरा कौन वह कार्य कर सकता है?
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